क्या कह रहे हैं अखिलेश यादव
Akhilesh Yadav·
·
5 बड़ा या 7 ?
विधायक बड़ा या सांसद ?
राज्य बड़ा या केंद्र ?
राज्य सरकार का मंत्री बड़ा या केंद्र सरकार का?
फिर सवाल ये है कि 5 बार के विधायक को भाजपाई राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाते हैं और 7 बार के सांसद को राज्य का अध्यक्ष।
इसका तर्क क्या है… दरअसल इसका कोई तर्क भाजपा के पास नहीं है… इसका कारण सिर्फ़ ये है कि प्रभुत्ववादी भाजपाई ये संदेश देना चाहते हैं कि PDA समाज का व्यक्ति कितना भी क़ाबिल हो पर वो वर्चस्ववादियों के आगे एक सीमा से आगे नहीं बढ़ सकता है।
भाजपा ने पीडीए समाज को नीचा दिखाने को लिए ये नया तरीका अपनाया है। ये अपमान पीडीए समाज अब और नहीं सहेगा… अब अपनी पीडीए सरकार बनाएगा, पीडीए को मान दिलाएगा।
(ताकि सनद रहे!)
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श्री अखिलेश यादव जी!
मान्यवर !
आपके इस बयान पर नीचे जाकर मैंने टिप्पणियों को देखा, उन टिप्पणियों को देखने के बाद ऐसा लगा जैसे आज भी आपका पीडीए केवल नारा है !
यह बात सही है कि वर्तमान समय में पिछड़े वर्ग के लोगों से ही केंद्र की सत्ता व राज्य की सत्ता उन लोगों के हाथ में है जो अकेले पिछड़े वर्ग का नहीं दलित और तमाम उन लोगों का जिन लोगों का भला संविधान से संभव है उनको अंधभक्त बनाकर मनुस्मृति की व्यवस्था से धीरे-धीरे समृद्ध करते जा रहे हैं।
उन्हीं के लोग ना तो केंद्र में और नहीं प्रदेश में और न हीं देश के और किसी हिस्से में "यादव" नेतृत्व के साथ खड़े होते दिखाई देना तो दूर इन्हें अछूत बनाने पर लगे हुए हैं ! यहां तक की कई बार वर्तमान सत्ता की अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक मानसिकता की सोच से जाति,धर्म और संप्रदाय को जिस भेदभाव से देश में आम आदमी की मानसिक सोच बदलने में जितना बड़ा षड्यंत्र कर चुके हैं और निरंतर कर रहे हैं ?
उससे भी आगे जाकर एक जाति विशेष के खिलाफ हर तरह के षडयंत्र कर रहे हैं ; जिसमें बहुजन समाज के अनेक लोगों को मैं जानता हूं जो मानसिक रूप से उनकी इसी विचारधारा के पोषक हैं।
जिस गौरवशाली "यादव समाज" के योगदान को आज बहुजन समाज भूल गया है उस समाज के जिस विघटनकारी रूप का नजारा बिहार में देखने को मिला है, कमोबेस वही काम उत्तर प्रदेश में भी किया जा रहा है। इसका मुकाबला करने में जो सबसे बड़ा नुकसान सामने आ रहा है वह "अदृश्य" है।
यह "अदृश्य" क्या है यही सबसे बड़ा सवाल इस समय का है।
जिसमें प्रमुख रूप से बहुजन बुद्धिजीवियों; नेताओं; व्यापारियों; लालची और स्वार्थी लोगों का बहुत बड़ा समूह जो दिखाई दे रहा है ? जिसे भौकाल बनाकर अंधविश्वास-पाखंड में अखंड गहराई तक डूबा हुआ है! वही "अदृश्य" समूह सबसे बड़ा नुकसान करने वाला समाज है।
यह समाज सांस्कृतिक रूप से गुलाम हो चुका है इसकी गुलामी के पीछे जितनी बड़ी साजिश है उस साजिश को समाप्त करने के लिए समाज में ना तो पेरियार हैं, ज्योतिबा फूले हैं, ललई सिंह यादव हैं, रामस्वरूप वर्मा है, राम सेवक यादव हैं और न ही कथित रूप से दलित आंदोलन के जनक बाबा साहब अंबेडकर के विचारों के समग्र रूप से मानने वाले अंबेडकरवादी ही नजर आ रहे हैं।
ऐसे समाज से लड़ने के लिए "पीडीए" का नारा कितना कारगर होगा !
मनुवादी सोच के समाजवादी मूलत: इस लड़ाई को लड़ने में उसके साथ ज्यादा है जिससे पीडीए सत्ता लेना चाहता है।
यह केवल मेरी चिंता नहीं है बल्कि उन सभी लोगों की चिंता है जो आपके हितैषी हैं पर स्वार्थी और चाटुकार नहीं !
जिस आंदोलन की जरूरत है उस आंदोलन के वैचारिक लोगों को वैचारिक रूप से अवाम को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल नहीं लगाने की जरूरत है।
यह कैसे होगा चिंता इसी बात की है।
-डॉ लाल रत्नाकर
(पिछड़े वर्ग के लिए आपकी चिंता जायज है जो भाजपा के क्रियाकलाप को आप समाज के सामने प्रस्तुत करना चाहते हैं वह वह समझ नहीं समझता और ना ही समझना चाहता है)



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