सामाजिक बदलाव के इस दौर में जातीय एकता होना एक आवश्यक जरूरत बन गया है,
पर सामाजिक समरसता को विखंडित करने वाली जातीय स्वार्थ से ऊपर न उठने वाली
पर सामाजिक समरसता को विखंडित करने वाली जातीय स्वार्थ से ऊपर न उठने वाली
जातियां आज जिंन सरोकारों की बात करती हैं वे कितने बेमानी लगते हैं ।
http://www.youtube.com/watch?v=PpxmMeXJlgo
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