ताजमहल गिराने के हिमायती आजम खान
बीबीसी संवाददाता, लखनऊ
मंगलवार, 29 जनवरी, 2013 को 00:48 IST तक के समाचार

आजम खान पहले व्यक्ति नही हैं जिन्होंने ताजमहल के बारे इस तरह की आपत्ति दर्ज करायी है
उत्तर प्रदेश के नगर विकास, अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ, हज एवं संसदीय कार्यमंत्री मोहम्मद आज़म खान ने आगरा के ताजमहल को एक तरह से जनता की गाढ़ी कमाई और सरकारी खजाने का दुरूपयोग करार दिया है.
रविवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक सरकारी समारोह में भाषण देते हुए मोहम्मद आज़म खान ने 1992 के अपने पुराने बयान की याद दिलाई जब भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद अयोध्या की विवादित बाबरी मस्जिद के खिलाफ अभियान चला रहे थे.
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उन्होंने अपना पुराना बयान दोहराते हुए कहा, "अगर लोग मस्जिद के बजाय ताजमहल गिराने चलें तो मैं उनसे आगे चलूँगा. इसलिए कि किसी भी हुक्मरान को आम आवाम के खजाने से अपनी महबूबा के लिए ताजमहल बनाने का हक नही दिया जा सकता.”
फिर उन्होंने शाहजाहाँ की तुलना मायावती से की और कहा कि अगर शाहजहां को यह हक नही दिया जा सकता तो फिर "मायावती को भी सरकारी खर्चे से अपनी मूर्ति लगाने का हक नही दिया जा सकता.”
याद दिला दें कि मायावती ने अपने साथ राजनीतिक गुरु कांशी राम की मूर्ति भी सरकारी खजाने से लगवाई थी.
याद दिला दें कि इससे पहले सन 2005 में जब शिया और सुन्नी समुदाय ने ताजमहल पर अपना मालिकाना हक़ जताया था तो उस समय आजम खान ने ताज महल को दो कब्रों वाला कब्रिस्तान बताया था.
लेकिन आजम खान कोई पहले व्यक्ति नही हैं जिन्होंने ताजमहल के बारे इस तरह की आपत्ति दर्ज करायी हो.
कभी साहिर लुधियानवी ने लिखा था, “इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम ग़रीबों की मोहब्बत का उडाया है मजाक.”
वैसे शाहजहां के जमाने में भले ताज सरकारी खजाने की फिजूल खर्ची रहा हो, मगर अब तो ताजमहल से सरकार की कमाई भी होती है.
उपलब्ध जानकारी के अनुसार पिछले साल ताजमहल के टिकट से 70 करोड की कमाई हुई थी.
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